** सीने पर गहरे घाव हैँ **
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
उन बातों को अब सहा नहीं जाता
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
दोस्तों बात-बात पर परेशां नहीं होना है,
चार लोगों के चक्कर में, खुद को ना ढालो|
बड़े बुजुर्गों का गिरा, जहां नैन से नीर
*प्रभो हमें दो वह साहस हम, विजय दुष्ट पर पाऍं (गीत)*
लिप्सा-स्वारथ-द्वेष में, गिरे कहाँ तक लोग !
हर आँसू में छिपा है, एक नया सबक जिंदगी का,
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।
वक्त से पहले कुछ नहीं मिलता,चाहे कितना भी कोशिश कर लो,