थोड़ा सा थक जाता हूं अब मैं,
थोड़ा सा थक जाता हूं अब मैं,
इसीलिए दूर निकलना छोड दिया है,
पर ऐसा भी नहीं है कि अब,
मैंने चलना ही छोड दिया है,
फासले अक्सर रिश्तों में,
अजीब सी दूरियां बढ़ा देते हैं,
पर ऐसा भी नहीं है कि अब,
मैंने अपनों से मिलना ही छोड दिया है,
हा जरा सा अकेला महसूस करता हूं,
खुद को अपनों की ही भीड़ में,
पर ऐसा भी नहीं है कि अब मैंने,
अपनापन ही छोड दिया है,
याद तो करता हूं मैं सबको,
और परवाह भी करता हूं सबकी,
पर कितनी करता हूं,
बस अब ये बताना छोड दिया है…