जब तक था मेरे पास धन का खजाना। लगा था लोगो का आना जाना।
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
विचार ही हमारे वास्तविक सम्पत्ति
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
*गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा (गीत)*
इश्क की राहों में इक दिन तो गुज़र कर देखिए।
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
जिसे तुम राज़ देते हो वही नुक़्सान भी देगा
एक शायर खुद रहता है खंडहरों में - पता महलों का बताता है