प्यास की आश
Gajanand Digoniya jigyasu
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
बात-बात पर क्यों रोती हो?
अतृप्त मन,त्रस्त दिल,था सुकून की तलाश में,
प्लास्टिक प्रदूषण घातक है
इतिहास में वही प्रेम कहानियाँ अमर होती हैं
सही फल यदि कर्मों का मिलता।
भीतर तू निहारा कर
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।