Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Dec 2024 · 1 min read

मेरे भी अध्याय होंगे

मेरे भी अध्याय होंगे

जीवन के इस
कथा शेष में
मेरे भी अध्याय होंगे
माना यह पूजा न होगी
फिर भी कुछ
उपाय तो होंगे।

थोड़ा सा संघर्ष होगा
थोड़ा सा जतन होगा
अर्घ्य अर्पण, पुष्प गुच्छ का
थोड़ा सा तर्पण होगा।

सभी कथाओं में मैंने
वीरोचित युद्ध पढ़े हैं
राजपाट, असत्य, हिंसा
छल, कपट क्रुद्ध गढ़े हैं

तुलना नहीं, कथा है मेरी
मैं मानस हूँ, देव नहीं
कलियुग का कालखंड हूँ
साक्ष्य हूँ, अभिलेख नहीं।

पीड़ा को गाने से पहले
अनुभव भी जरूरी हैं
राम कृष्ण भले न हों
दशरथ सम मजबूरी है।

बुद्धि पर जब मन्थरा बैठे
वचनों पर कैकई अड़े
कथा करें सत्यनारायण
जय जय जय कृपाल हरे।

कहता सुनता तब अज्ञानी
मेरे भी संघर्ष खड़े
त्रेता द्वापर सहज थे किंतु
कलियुग के हैं प्रश्न बड़े।

पुराण नहीं मैं मगर भाष्य हूँ
आकुलित जग का हूँ साक्ष्य
नंगी आँखों देख रहा हूँ…
आह सीता…!!
ओह द्रौपदी..!!

सूर्यकांत

Loading...