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12 Dec 2024 · 1 min read

भाषा

सजदे में भी सौगातों की बात हर शाम होती है
इश्क इवादत था कभी अब बात आम होती है

अधरों से गिरे थे कभी जो फूल गालों पर
लफ्जो में मोती की कभी बरसात होती थी
सब बिक रहा देखो बोली नीलाम होती है

मीठी छुअन एहसास हो ख़ास होता था
बाहों में आने का मतलब पास होता था
आलिंगन की शर्त अब सरे आम होती है

आँखों में जो पर्दा कभी हया का गिरता था
देखकर महबूब को जो पलको से झरता था
नैनों की वो मूक भाषा अब बदनाम होती है

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