अनोखे संसार की रचना का ताना बाना बुनने की परिक्रिया होने लगी
तुम्हारी याद तो मेरे सिरहाने रखें हैं।
जिंदगी में कभी उदास मत होना दोस्त, पतझड़ के बाद बारिश ज़रूर आत
घुंघट ओढ़ा हमने लाज़ बचाने के लिए
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
जब भी सोचता हूं, कि मै ने उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
कुछ तो मजबूरी रही होगी...
टीस
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मुहब्बत से हराना चाहता हूं
मीर की ग़ज़ल हूँ मैं, गालिब की हूँ बयार भी ,
■ सकारात्मक तिथि विश्लेषण।।
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
*सभी के साथ सामंजस्य, बैठाना जरूरी है (हिंदी गजल)*
हमेशा सच बोलने का इक तरीका यह भी है कि