स्वामी विवेकानंद जयंती पर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
*राम हमारे मन के अंदर, बसे हुए भगवान हैं (हिंदी गजल)*
आओ कुछ दिल की बातें करके हल्का हो लें।
की है निगाहे - नाज़ ने दिल पे हया की चोट
"गानों में गालियों का प्रचलन है ll
गणित का एक कठिन प्रश्न ये भी
मानव-जीवन से जुड़ा, कृत कर्मों का चक्र।
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
रात का सफ़र भी तय कर लिया है,
बौराया मन वाह में ,तनी हुई है देह ।
23/39.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
पतझड़ और हम जीवन होता हैं।
दुनिया के चकाचौंध में मत पड़ो
16. Abundance abound
Santosh Khanna (world record holder)
आबो-हवा बदल रही है आज शहर में ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ज़ख़्म गहरा है सब्र से काम लेना है,