इसलिए कहता हूं तुम किताब पढ़ो ताकि
Pollution & Mental Health
आपके सत्कर्मों से आपकी प्रभा, आभा बनकर आपके बाद प्रकाशित रहे
*मंत्री जी भी कभी किसी दिन, ई-रिक्शा पर बैठें तो (हिंदी गजल-
काश हम भी दिल के अंदर झांक लेते,
आप लगाया न करो अपने होंठो पर लिपिस्टिक।
जो हम सोचेंगे वही हम होंगे, हमें अपने विचार भावना को देखना ह
न जाने कहाँ दोस्तों की महफीलें खो गई ।
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
सबकी आंखों में एक डर देखा।
किसने कहा पराई होती है बेटियां