उठाये जो तूने जख्म पहले उन्हें अब मात देना चाहता हूं,
दुख हरयो दुखभंजणी, सेवक करी सहाय।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
"यहाँ चंद लोगों के लिए लिख रहा हूँ मैं ll
कहाॅं तुम पौन हो।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
*शास्त्री जीः एक आदर्श शिक्षक*
- जो इश्क करता है फिर वो कुछ नही करता -
तेरे ना होने का एहसास....
तुम्हारे कर्म से किसी की मुस्कुराहट लौट आती है, तो मानों वही
57...Mut qaarib musamman mahzuuf
उसकी कहानी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
इस दफ़ा मैं न उफ़्फ़ करूंगा।
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,