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31 Aug 2024 · 1 min read

रोते हुए को हॅंसाया जाय

रोते हुए को हॅंसाया जाय

जरुरी नहीं इबादत में वक्त बिताया जाय,
क्यूं न किसी रोते हुए को हॅंसाया जाय।
ईष्ट को खुश रखना जो ध्येय है हमारा,
अच्छा है कर्म को ही श्रेष्ठ बनाया जाय।
कट्टरता की बुनियाद से शत्रुता ही बढ़ेगी,
जरुरत है मानवता का पाठ पढ़ाया जाय।
पद पैसा प्रतिष्ठा पर कब तक मरेंगे भला,
सच्चे भले दिलवालों से दिल लगाया जाय।
खुद के लिए चाहते हैं सद्व्यवहार जो मित्र,
दूसरों से भी वही शिष्टाचार निभाया जाय।
स्तुति में तो द्वेष दंभ भेद का काम नहीं है,
कुरीति, भेद, भय और भ्रम भगाया जाय।
पराधीनता हरगिज वाजिब नहीं ‘मधुकर’,
स्वाभिमान से सदा सर ऊॅंचा उठाया जाय।

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