सुना है हमने दुनिया एक मेला है
Virtual vs. Real: The Impact on Brain Development of Children in Modern World
*आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश
जीवन में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मैं स्वयं को मानती हूँ
तुम बनते चालाक क्यों,धोखा है संसार ।
कुछ खामोश सी हो गई है कलम ...
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
स्वार्थों सहूलियतों के बांध
दिल तो पत्थर सा है मेरी जां का
गीत- हमें मालूम है जीना...