Ghazal
shahab uddin shah kannauji
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है
बलिदानियों की ज्योति पर जाकर चढ़ाऊँ फूल मैं।
क्या बिगाड़ लेगा कोई हमारा
वह नारी
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
नव वर्ष आया हैं , सुख-समृद्धि लाया हैं
रात रात भर रजनी (बंगाल पर गीत)
बस इतना ही फर्क रहा लड़के और लड़कियों में, कि लड़कों ने अपनी
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
जिस्म का खून करे जो उस को तो क़ातिल कहते है
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
न रोको तुम किसी को भी....