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18 Aug 2024 · 1 min read

#आज_का_मुक्तक

#मुक्तक-
■दानवीर कर्ण■
【प्रणय प्रभात】
सूर्य जैसा तेज पा कर के भी अभिमानी न था।
शौर्य का प्रतिमान ख़ुद था दूसरा सानी न था।।
प्राण की परवाह ना कर, दे दिए कुंडल-कवच।
उस समर में कोई योद्धा कर्ण सा दानी न था।।
👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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