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9 Aug 2024 · 1 min read

*न्याय : आठ दोहे*

न्याय : आठ दोहे
_________________________
1)
न्याय-तंत्र जब कर नहीं, पाया कोई न्याय
बंदूकों ने है कर दिया, निर्णय हो निरुपाय
2)
लेट-लतीफी न्याय का, सबसे भारी दोष
न्यायालय से इसलिए, जनता में है रोष
3)
शुरू मुकदमा तो किया, दादा जी का काम
उसी मुकदमे में पड़ा, अब पोते का नाम
4)
खड़ा हुआ जिसकी तरफ, करता उस से घात
रोज मुवक्किल खा रहे, यों वकील से मात
5)
हे प्रभु रक्षा कीजिये, पुलिस कचहरी-रोग
लग जाता जब रोग यह, बचते कम ही लोग
6)
बड़ी मुकदमेबाजियॉं, करतीं बड़ा कमाल
वादी निर्धन हो गया, अधिवक्ता खुशहाल
7)
ताकतवर की चल रही, सेटिंग सबके साथ
दुर्बल की रक्षा बची, केवल प्रभु के हाथ
8)
संविधान-जनतंत्र सब, हो जाता बर्बाद
सेना जब बंदूक से, करती है संवाद

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
200 Views
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