पा कर भी उदास थे, ख़ो कर भी उदास थे,
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
मैं अक्सर शायरी लिखता हूँ
रात बसर हो जाती है यूं ही तेरी यादों में,
केही कथा/इतिहास 'Pen' ले र केही 'Pain' ले लेखिएको पाइन्छ।'Pe
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
चाँदनी रातों में, सितारों की बातों में,
मानव हो मानवता धरो
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
#पीरपुष्प
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
#शीर्षक;-ले लो निज अंक मॉं
When you strongly want to do something, you will find a way
बेवफ़ा
singh kunwar sarvendra vikram