दिवाली है दीपों का पर्व ,
गिरिधारी छंद विधान (सउदाहरण )
हर मौसम का अपना अलग तजुर्बा है
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
आओ नववर्ष के पावन पर्व की प्रीती मनाएं
सावन भादों
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हर दिन एक नई दुनिया का, दीदार होता यहां।
कलमकार का काम है, जागृत करे समाज
*यहाँ पर आजकल होती हैं ,बस बाजार की बातें (हिंदी गजल)