सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
"ज्ञानी प्रजा,नादान राजा"
वो मुज़्दा भी एक नया ख़्वाब दिखाती है,
किसी के टुकड़े पर पलने से अच्छा है खुद की ठोकरें खाईं जाए।
दर्द देते हैं वो रिश्ते जो भेंट चढ़ जाते हैं अहम की, जहाँ एह
बुन्देली दोहा - चिरैया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बहुत ज्यादा करीब आना भी एक परेशानी का सबब है।
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
जिनके चेहरे की चमक के लिए,
"रिश्ते के आइने चटक रहे हैं ll