शिकायत करें भी तो किससे करें हम ?
*नमन गुरुवर की छाया (कुंडलिया)*
नव रूप
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
मां! बस थ्हारौ आसरौ हैं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हर रात की "स्याही" एक सराय है
अंधविश्वास से परे प्रकृति की उपासना का एक ऐसा महापर्व जहां ज
बड़ी बेतुकी सी ज़िन्दगी हम जिये जा रहे हैं,
ज़रूरत में ही पूछते हैं लोग,
खुद क्यों रोते हैं वो मुझको रुलाने वाले
इंसान जिन्हें कहते हैं वह इंसान ही होते हैं,
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,