अगर मांगने से ही समय और प्रेम मिले तो क्या अर्थ ऐसे प्रेम का
ध्येय बिन कोई मंज़िल को पाता नहीं
"गमलों की गुलामी में गड़े हुए हैं ll
अद्भुद भारत देश
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
गरीबी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल _ सयासत की हवेली पर ।
मौत से बढकर अगर कुछ है तो वह जिलद भरी जिंदगी है ll
जो अपनी ग़म-ए-उल्फ़त से गिला करते हैं,
नेताओं सा हो गया उनका भी किरदार
इज्जत कितनी देनी है जब ये लिबास तय करता है
स्वर्गस्थ रूह सपनें में कहती
चौकड़िया छंद के प्रमुख नियम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ये साल बीत गया पर वो मंज़र याद रहेगा