#शोभा धरतीमात की
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
फिर से अपने चमन में ख़ुशी चाहिए
दुनिया कितनी निराली इस जग की
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
दगा और बफा़
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
जो संतुष्टि दिन हीनों और गौ माता की सेवा करने से मिल सकता है
कदाचित् वहम यह ना पालो...
हाथों में डिग्री आँखों में निराशा,
"स्वतंत्रता के नाम पर कम कपड़ों में कैमरे में आ रही हैं ll
हिचकियों की मुझे तमन्ना है ,
असली खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
तुम भी सर उठा के जी सकते हो दुनिया में
इस दफ़ा मैं न उफ़्फ़ करूंगा।