Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jun 2024 · 1 min read

*अपनी धरती छह ऋतुओं की, इसकी हर छटा निराली है (राधेश्यामी छं

अपनी धरती छह ऋतुओं की, इसकी हर छटा निराली है (राधेश्यामी छंद)
______________________
अपनी धरती छह ऋतुओं की, इसकी हर छटा निराली है
कभी पूर्णिमा उजली वाली, तो कभी अमावस काली है
कहीं खाइयॉं ऊॅंचे पर्वत, सागर विशाल की गहराई
धन्य हुई जिह्वा जो इसने, तेरी यशगाथा मॉं गाई
————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

98 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

बालबीर भारत का
बालबीर भारत का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मेरी जिंदगी
मेरी जिंदगी
ओनिका सेतिया 'अनु '
दोस्ती कर लें चलो हम।
दोस्ती कर लें चलो हम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
समझाए काल
समझाए काल
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
मजबूरन पैसे के खातिर तन यौवन बिकते देखा।
मजबूरन पैसे के खातिर तन यौवन बिकते देखा।
सत्य कुमार प्रेमी
एक दिन
एक दिन
हिमांशु Kulshrestha
कविता
कविता
Nmita Sharma
काश
काश
Mamta Rani
ग़ज़ल _ शरारत जोश में पुरज़ोर।
ग़ज़ल _ शरारत जोश में पुरज़ोर।
Neelofar Khan
प्रेम
प्रेम
राकेश पाठक कठारा
जीने ना दिया
जीने ना दिया
dr rajmati Surana
वर्षा
वर्षा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
मतळबी मिनखं
मतळबी मिनखं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
દુશ્મનો
દુશ્મનો
Otteri Selvakumar
चंद शेर
चंद शेर
Shashi Mahajan
किया है कैसा यह जादू
किया है कैसा यह जादू
gurudeenverma198
25)”हिन्दी भाषा”
25)”हिन्दी भाषा”
Sapna Arora
सरसी छंद और विधाएं
सरसी छंद और विधाएं
Subhash Singhai
ख़्वाब उसके सजाता रहा.., रात भर,
ख़्वाब उसके सजाता रहा.., रात भर,
पंकज परिंदा
#कुछ खामियां
#कुछ खामियां
Amulyaa Ratan
- तुमसे प्यार हुआ -
- तुमसे प्यार हुआ -
bharat gehlot
प्रभु रामलला , फिर मुस्काये!
प्रभु रामलला , फिर मुस्काये!
Kuldeep mishra (KD)
समय की धार !
समय की धार !
सोबन सिंह रावत
मुस्कुराता बहुत हूं।
मुस्कुराता बहुत हूं।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
एक पल को न सुकून है दिल को।
एक पल को न सुकून है दिल को।
Taj Mohammad
"गुजारिश"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य की खोज
सत्य की खोज
SHAMA PARVEEN
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
कवि रमेशराज
जब व्यक्ति वर्तमान से अगले युग में सोचना और पिछले युग में जी
जब व्यक्ति वर्तमान से अगले युग में सोचना और पिछले युग में जी
Kalamkash
Loading...