💗 चाँद कहूं तो छुप जाओगे 💗
मैंने गाँधी को नहीं मारा ?
ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं
आपके प्रत्युत्तर में ही आपकी प्रतिभा छुपी है !बेतुकी प्रतिक्
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
राख के धुंए में छिपा सपना
गीत- निराशा भूल जाऊँगा...
तारो की चमक ही चाँद की खूबसूरती बढ़ाती है,
लड़ने को तो होती नहीं लश्कर की ज़रूरत
ये खत काश मेरी खामोशियां बयां कर पाती,
चिरैया पूछेंगी एक दिन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
जिंदगी में सफ़ल होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि जिंदगी टेढ़े
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भारत और इंडिया तुलनात्मक सृजन
नजाकत का भ्रम पाल करके रखिए।
"ज्ञ " से ज्ञानी हम बन जाते हैं