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24 May 2024 · 1 min read

डगर जिंदगी की

जिंदगी की राहों में
कभी पत्थरों की डगर बन जाती है
दर्द होता है दिल में इतना कि
आंसुओं से सैलाब बन जाती है
कब होते हैं आंसू दर्द के बगैर
आखिर सागर में भी तूफान लहरों से उठता है
वार खंजर के भी सह लेता कभी
मगर मीठी हंसी बात की दिल में घर कर जाती है
समा की चाहत में जल उठता है मासूम पतंगा
की जिंदगी की जरा सी भूल
जीवन का अंगार बन जाती है
जरा सी गलतफहमी भी तोड़ देती है रिश्तो को
अगर खत्म ना हो कटीली झाड़ियां तो नासूर पेड़ बन जाते हैं
बन जाता है
सारा जमाना दगाबाज
कभी धोखा खाकर किसी से ऐसी नजर बन जाती है

Language: English
164 Views
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