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23 May 2024 · 1 min read

अर्थ शब्दों के. (कविता)

अर्थ शब्दों के

मैं दिल में दबी हर बात को
यूं कागज़ पर उकेरना चाहती हूं
उकेरना चाहती हूं एहसासों को अपने मगर सोचती हूं फिर
क्या है फायदा क्या है कुछ लिखने का लोग तो सिर्फ
अपनी सोच के अनुसार ही तो समझते हैं इसलिए हर बात को
छोटे से छोटा लिख देता हूं
यही सोचकर की क्या फर्क पड़ता है किसी को
और ना ही मैं परेशान हो सकू ये सोचकर कि मैंने अपने अल्फाजों को
जरूरत से ज्यादा लिख दिया
आखिर लोग जरूरत से ज्यादा समझते भी कहां है
जैसे एक छोटे बच्चों की थाली में
खाना उतना ही रखा जाता है
जितना कि वह बचा पाए
मां को पता होता है कि कितना दिया जाए ताकि खाली थाली में खाना व्यर्थ न जाए बस यूं ही कुछ
नहीं करती मैं अपनों लफ्जों को जाया लिखती हूं सिर्फ उतना ही
जितना कि लोग शायद समझ पाए क्योंकि ज्यादा गहरे शब्दों को भी अनसुना कर दिया जाता है
आखिर कौन पचा पाया है गहरे अर्थों के शब्दों को

मोनिका यादव

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