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13 May 2024 · 1 min read

*शक्तिपुंज यह नारी है (मुक्तक)*

शक्तिपुंज यह नारी है (मुक्तक)
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मुख-मुद्रा गंभीर ओढ़नी, धरती-जितनी भारी है
विस्तृत जितना गगन समाहित, सृष्टि रची यह सारी है
जल-सी शीतल ऊष्ण अग्नि-सी, गति समीर-सी देखो तो
सभी परिस्थिति में कल्याणी, शक्तिपुंज यह नारी है
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रचयिता: रवि प्रकाश

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