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7 May 2024 · 1 min read

विकट संयोग

मैं चाह लेती
तो मन न चाहता
मैं और मन दो
अलग धाराएं है
मन मुझसे मिलना
नही चाहता
और न ही मैं
मन को
अपनाना चाहती हूं,
मन और मेरा योग
विकट संयोग।

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