अपना तो कोई नहीं, देखी ठोकी बजाय।
हे कृष्ण
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
Dr. Arun Kumar Shastri – Ek Abodh Balak – Arun Atript
क्या हो तुम मेरे लिए (कविता)
लिबास -ए – उम्मीद सुफ़ेद पहन रक्खा है
पिता,वो बरगद है जिसकी हर डाली परबच्चों का झूला है
बदली मन की भावना, बदली है मनुहार।
लूट कर चैन दिल की दुनिया का ,
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता मे रहा
जीत सकता हूं मैं हर मकाम।