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21 Mar 2024 · 1 min read

लेकिन क्यों ?

लेकिन क्यों
जब शब्द लिखने को थे
तव पास कलम नही था
जब कलम पास आया
तव बक्त नही था
जब वक्त भी मिला
तब शब्द नही थे।
वस यही उलझन लगी रही
इसे सुलझाते -सुलझाते उम्र बीत गई
पर यह उलझन न सुलझ पाई
अब कलम भी है पास
वक्त और शब्द भी है
परन्तु आलस और थकान भी
जिससे अब हाथ नही चलते
पहले स्वाधीन था
अब पराधीन हूँ
पहले वक्त के लिए रोता था
अब वक्त के कारण रोता हूँ
क्या यही ज़िन्दगी है
जिसके लिए हम दौड़ते रहे
सच मान ने सके
झूठ छोड न सके
फिर भी हाथ कुछ न आया
मुट्ठी बांधकर आये थे
और खोल कर चले जायेगे
सब जानते है
पर मानते नही
लेकिन क्यों————–?
दिनेश कुमार गंगवार

5 Likes · 3 Comments · 192 Views
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