Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2024 · 1 min read

3149.*पूर्णिका*

3149.*पूर्णिका*
🌷 जीवन का आधार है कोई🌷
22 22 212 22
जीवन का आधार है कोई।
समझो तो लाचार है कोई।।
दिल है बेईमान क्या समझे।
बिकता यूं बाजार है कोई।।
बहके बहके ये जमाना है ।
खुद का खुद सरकार है कोई।।
कागज के ये फूल खुशबू दे।
देख यहाँ करतार है कोई ।।
नेक इरादा रख चले खेदू।
करता बेड़ापार है कोई।।
………….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
20-03-2024बुधवार

140 Views

You may also like these posts

23/66.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/66.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
छू कर तेरे दिल को, ये एहसास हुआ है,
छू कर तेरे दिल को, ये एहसास हुआ है,
Rituraj shivem verma
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*मॉं की गोदी स्वर्ग है, देवलोक-उद्यान (कुंडलिया )*
*मॉं की गोदी स्वर्ग है, देवलोक-उद्यान (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
पग मेरे नित चलते जाते।
पग मेरे नित चलते जाते।
Anil Mishra Prahari
एक मुट्ठी राख
एक मुट्ठी राख
Shekhar Chandra Mitra
ग़रीबी में भली बातें भी साज़िश ही लगा करती
ग़रीबी में भली बातें भी साज़िश ही लगा करती
आर.एस. 'प्रीतम'
कलयुग और महाभारत
कलयुग और महाभारत
Atul "Krishn"
सृष्टि की अभिदृष्टि कैसी?
सृष्टि की अभिदृष्टि कैसी?
AJAY AMITABH SUMAN
BJ88
BJ88
BJ88
मेहंदी की खुशबू
मेहंदी की खुशबू
Minal Aggarwal
मुझसे गुस्सा होकर
मुझसे गुस्सा होकर
Mr.Aksharjeet
जिंदगी में खोना
जिंदगी में खोना
पूर्वार्थ
मुझे मेरी ताक़त का पता नहीं मालूम
मुझे मेरी ताक़त का पता नहीं मालूम
Sonam Puneet Dubey
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आशा की किरण
आशा की किरण
शशि कांत श्रीवास्तव
तुम गए जैसे, वैसे कोई जाता नहीं
तुम गए जैसे, वैसे कोई जाता नहीं
Manisha Manjari
Navratri
Navratri
Sidhartha Mishra
मनुष्य भी जब ग्रहों का फेर समझ कर
मनुष्य भी जब ग्रहों का फेर समझ कर
Paras Nath Jha
"काम करने का इरादा नेक हो तो भाषा शैली भले ही आकर्षक न हो को
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
" नीयत "
Dr. Kishan tandon kranti
समाज को जगाने का काम करते रहो,
समाज को जगाने का काम करते रहो,
नेताम आर सी
*आज का विचार*
*आज का विचार*
*प्रणय*
तलाक इतने ज्यादा क्यों हो रहे हैं..? एक इंसान के साथ शादी के
तलाक इतने ज्यादा क्यों हो रहे हैं..? एक इंसान के साथ शादी के
Ritesh Deo
शीर्षक -गुरू
शीर्षक -गुरू
Sushma Singh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
वसुंधरा का क्रन्दन
वसुंधरा का क्रन्दन
Durgesh Bhatt
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
Neelofar Khan
मेरे सिवा अब मुझे कुछ याद नहीं रहता,
मेरे सिवा अब मुझे कुछ याद नहीं रहता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Tu chahe to mai muskurau
Tu chahe to mai muskurau
HEBA
Loading...