जुर्म तुमने किया दोषी मैं हो गया।
सदाचार है नहिं फलदायक
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
सब को जीनी पड़ेगी ये जिन्दगी
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
विश्वास को जो खो चुके हो वो कभी भी आपके लिए बेहतर नही हो सकत
जिंदगी में आज भी मोहब्बत का भरम बाकी था ।
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
*दर्शन करना है तो ठहरो, पथ में ठहराव जरूरी है (राधेश्यामी छं
बिल्ली के गले, बांधेगा अब कौन.
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
स्वास्थ्य बिन्दु - ऊर्जा के हेतु