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4 Mar 2024 · 1 min read

होली गीत

अँखिया गईले पथराई, दूरदेश बसेला सजनवां। 2
अँखिया गईले पथराई अँखिया गईले पथराई। 2

बीतलऽ अषाढ़ सावन बीतलऽ कुआर बा।
कातिकऽ से माघ ले ना आइल बहार बा।
गईले सवत पे लुभाय दूरदेश बसेला सजनवां।
अँखिया गईले पथराई अँखिया गईले पथराई।। 2

फागुनऽ में अईहें ऊ तनिको न भान बा।
हवा लागल बहरी के घर के न ध्यान बा।
गईलें हमके भुलाई, दूरदेश बसेला सजनवां।
अँखिया गईले पथराई अँखिया गईले पथराई। 2

काहो निर्मोही कब घरवा तू अईब।
भर अँकवारी रंग अबिरवा लगईब।
लेतऽ गरवा लगाई, दूरदेश बसेला सजनवां।
अँखिया गईले पथराई अँखिया गईले पथराई। 2

सजना सचिन गाई फगुआ सुनईत।
नेह पिचकारी मारी हियरा जुड़ईत।
मनऽ जाइत हरसाई दूरदेश बसेला सजनवां।
अँखिया गईले पथराई अँखिया गईले पथराई। 2

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’

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