Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 1 min read

दोस्ती जीवन भर का साथ

विषय – दोस्ती जीवन भर का साथ

कहते हैं कि मतलब का ये जमाना है, यहां झूठ का लगता आना जाना है
दिखते तो हैं चेहरे हज़ार लेकिन हर कोई एक दूजे से अनजाना है

कुछ रिश्ते जन्म से होते है और कुछ रिश्ते होते हैं कर्मों के साथ
कुछ रिश्ते अपने होते है जो मिलते है भाग्य विधाता के हाथ

नाम है जिसका दोस्ती जो हर कोई पाना चाहता है
जैसे कृष्ण और सुदामा थे वैसे ही दोस्ती का अहसास मांगता है

दोस्ती जीवन भर का साथ होती है जिसने अपना लिया दिल से उसके नसीब में होती है।

Language: Hindi
154 Views

You may also like these posts

शादी अगर जो इतनी बुरी चीज़ होती तो,
शादी अगर जो इतनी बुरी चीज़ होती तो,
पूर्वार्थ
*टूटे दिल को दवा दीजिए*
*टूटे दिल को दवा दीजिए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"अल्फ़ाज़"
Dr. Kishan tandon kranti
सृष्टि की रचना हैं
सृष्टि की रचना हैं
Ajit Kumar "Karn"
प्यार की पाठशाला
प्यार की पाठशाला
सुशील भारती
ख़्वाब में हमसे मिल कभी आके ,
ख़्वाब में हमसे मिल कभी आके ,
Dr fauzia Naseem shad
हिंदी से है पहचान हमारी
हिंदी से है पहचान हमारी
चेतन घणावत स.मा.
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
कांग्रेस के नेताओं ने ही किया ‘तिलक’ का विरोध
कांग्रेस के नेताओं ने ही किया ‘तिलक’ का विरोध
कवि रमेशराज
राहगीर
राहगीर
RAMESH Kumar
सत्य
सत्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
छंद: हरिगीतिका : इस आवरण को फोड़कर।
छंद: हरिगीतिका : इस आवरण को फोड़कर।
Ashwani Kumar
हम क्यूं लिखें
हम क्यूं लिखें
Lovi Mishra
अंबा नाम उचार , भजूं नित भवतारीणी।
अंबा नाम उचार , भजूं नित भवतारीणी।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
2783. *पूर्णिका*
2783. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहा पंचक. .
दोहा पंचक. .
sushil sarna
लिख दूं
लिख दूं
Vivek saswat Shukla
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लेकिन, प्यार जहां में पा लिया मैंने
लेकिन, प्यार जहां में पा लिया मैंने
gurudeenverma198
. मत देना पंख
. मत देना पंख
Shweta Soni
कचोट
कचोट
Dr.Archannaa Mishraa
*रंगों का ज्ञान*
*रंगों का ज्ञान*
Dushyant Kumar
मुख्तशर सी जिंदगी है।
मुख्तशर सी जिंदगी है।
Taj Mohammad
क्यों हमें बुनियाद होने की ग़लत-फ़हमी रही ये
क्यों हमें बुनियाद होने की ग़लत-फ़हमी रही ये
Meenakshi Masoom
नशा रहता है इस दर्द का।
नशा रहता है इस दर्द का।
Manisha Manjari
क़ैद
क़ैद
Shekhar Chandra Mitra
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
बाप
बाप
साहित्य गौरव
Loading...