Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2024 · 1 min read

सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं

सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं।
महज कुछ समय के लिए बिछुड़ गया मैं।।
आऊँगा तुमसे मिलने तुम्हारे शहर मैं।
महज कुछ समय के लिए बिछुड़ गया मैं।।
सोचना नहीं कि ———————–।।

कैसे भूलूंगा गलियां तेरे शहर की।
मुलाकातें प्यार की वो तेरे घर की।।
तेरी शरारत और तेरी रुलाई को।
मुझसे बचने की तेरी छिपाई को।।
सोचना नहीं कि ———————-।।

वादा किया है साथ उम्रभर निभाने का।
अपना प्यार मैंने अमर बनाने का।।
तुम्हें खोज लूंगा मैं इस जहाँ में।
जाने नहीं दूँगा तुम्हें किसी की बाँह में।।
सोचना नहीं कि ———————–।।

अभी तक है मेरे पास कल को लिखे खत।
पढ़ता हूँ इनको मैं मिलने पे फुरसत।।
तुमने भी पढ़ें हैं खत ये, हाथों से छीनकर।
भूला नहीं सकते मुझको, तुम भी चाहकर।।
सोचना नहीं कि ————————।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
242 Views

You may also like these posts

नैन
नैन
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
चलते चलते थक गए, अपने सबके पांव।
चलते चलते थक गए, अपने सबके पांव।
Suryakant Dwivedi
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दर्द-ओ-ग़म की टीस हंसाते रहती है
दर्द-ओ-ग़म की टीस हंसाते रहती है
Shreedhar
पहाड़ों मा पलायन
पहाड़ों मा पलायन
Durgesh Bhatt
राहें खुद हमसे सवाल करती हैं,
राहें खुद हमसे सवाल करती हैं,
Sunil Maheshwari
- सिफारिशे -
- सिफारिशे -
bharat gehlot
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
Buddha Prakash
#ਹੁਣ ਦੁਨੀਆ 'ਚ ਕੀ ਰੱਖਿਐ
#ਹੁਣ ਦੁਨੀਆ 'ਚ ਕੀ ਰੱਖਿਐ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
■ क्यों करते हैं टाइम खोटा, आपस में मौसेर्रे भाई??
■ क्यों करते हैं टाइम खोटा, आपस में मौसेर्रे भाई??
*प्रणय*
सब दिन होत न समान
सब दिन होत न समान
manorath maharaj
*स्वदेशी या विदेशी*
*स्वदेशी या विदेशी*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
मधुशाला रास न आई तू
मधुशाला रास न आई तू
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
🌸 सभ्य समाज🌸
🌸 सभ्य समाज🌸
पूर्वार्थ
*नारी पर गलत नजर डाली, तो फिर रावण का नाश हुआ (राधेश्यामी छं
*नारी पर गलत नजर डाली, तो फिर रावण का नाश हुआ (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
भाग  करते   नहीं  घटा  देते
भाग करते नहीं घटा देते
Dr Archana Gupta
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
शून्य सा अवशेष मैं....!
शून्य सा अवशेष मैं....!
पंकज परिंदा
आज, तोला चउबीस साल होगे...
आज, तोला चउबीस साल होगे...
TAMANNA BILASPURI
ग़ज़ल
ग़ज़ल
SURYA PRAKASH SHARMA
जीवन की राहें पथरीली..
जीवन की राहें पथरीली..
Priya Maithil
बहुत उम्मीदें थीं अपनी, मेरा कोई साथ दे देगा !
बहुत उम्मीदें थीं अपनी, मेरा कोई साथ दे देगा !
DrLakshman Jha Parimal
"अजीब लोग"
Dr. Kishan tandon kranti
घर में बैठक अब कहां होती हैं।
घर में बैठक अब कहां होती हैं।
Neeraj Agarwal
खिलो फूल से
खिलो फूल से
कार्तिक नितिन शर्मा
4689.*पूर्णिका*
4689.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वक्त बर्बाद मत करो किसी के लिए
वक्त बर्बाद मत करो किसी के लिए
Sonam Puneet Dubey
तुम्हारी खूब़सूरती क़ी दिन रात तारीफ क़रता हूं मैं....
तुम्हारी खूब़सूरती क़ी दिन रात तारीफ क़रता हूं मैं....
Swara Kumari arya
रिश्तों के माधुर्य में,
रिश्तों के माधुर्य में,
sushil sarna
*जिंदगी*
*जिंदगी*
Harminder Kaur
Loading...