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18 Feb 2024 · 1 min read

*इश्क़ की दुनिया*

क्यों वो रात आती नहीं
जब उसकी याद सताती नहीं
कर रहा हूँ इंतज़ार बरसों बरस
क्यों ये नींद अब सुलाती नहीं

डूबा रहता हूँ उसकी आँखों में
जाने क्यों मेरा नशा छुड़ाती नहीं
न जाने कैसी प्यास है ये मेरी
जो मिटा सकती है इसको मिटाती नहीं

है क्यों वो ख़फ़ा मुझसे
उसने तो कुछ कहा ही नहीं
होता है क्या दर्द-ए-दिल
उसे तो यह भी पता ही नहीं

हो सकता है वो बेख़बर हो इश्क़ से
वो इश्क़ की गली में कभी गया ही नहीं
है जीवन में चाह उसकी जो भी
उस गली की तरफ़ वो कभी चला ही नहीं

देख ले वो भी एक नज़र मेरी तरफ़
अब और मुझे वो सताए नहीं
है यक़ीन हो जाएगा इश्क़ उसको भी
डरती है तो ज़माने को बताए नहीं

है दर्द जितना, सुकून उससे भी ज़्यादा है
कोई ये बात उसको समझाए तो सही
ये इश्क़ की दुनिया स्वर्ग से भी हसीं है
कोई सच्चे मन से इसमें आए तो सही।

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