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manjula chauhan
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16 Feb 2024 · 1 min read
शायरी
न जाने कैसी खुदगर्जी का दौर है,
जी भी रहे है तो बस मरने के लिए।
Competition:
Poetry Writing Challenge-2
Language:
Hindi
Tag:
शेर
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मधुकर श्रेणी
Manjula Chauhan
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