सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
परिमल पंचपदी---
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ऊँची पहाड़ियों पर भी बर्फ पिघलते हैं,
Baat faqat itni si hai ki...
"इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
*रोते-रोते जा रहे, दुनिया से सब लोग (कुंडलिया)*
गवाही देंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
सीखा दे ना सबक ऐ जिंदगी अब तो, लोग हमको सिर्फ मतलब के लिए या
मग़रिबी और मशरिक तो क्या सारे जहान में शुमार है जिसका ।
मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।
भारत के वीर जवान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर