Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2023 · 1 min read

*शिक्षक जी को नमन हमारा (बाल कविता)*

शिक्षक जी को नमन हमारा (बाल कविता)
________________________
शिक्षक जी को नमन हमारा
पढ़ना सीखा जिनसे सारा

सदा ज्ञान का पाठ पढ़ाते
अच्छी-अच्छी बात सिखाते

विद्यालय में प्रतिदिन आते
छुट्टी करते कभी न पाते

प्रेम-भरी है इनकी बोली
खिड़की अपनेपन की खोली

पर्वत जैसे अडिग खड़े हैं
अनुशासन में सख्त बड़े हैं
———————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

358 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

तुमने तन्हा छोड़ा है
तुमने तन्हा छोड़ा है
Sanjay Narayan
स्वर्ग से उतरी बरखा रानी
स्वर्ग से उतरी बरखा रानी
Ghanshyam Poddar
कभी पास तो कभी दूर जाता है
कभी पास तो कभी दूर जाता है
शिवम राव मणि
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा
अशोक कुमार ढोरिया
* भावना स्नेह की *
* भावना स्नेह की *
surenderpal vaidya
बेरोजगारी की महामारी
बेरोजगारी की महामारी
Anamika Tiwari 'annpurna '
“सत्य ही सब कुछ हैं”
“सत्य ही सब कुछ हैं”
Dr. Vaishali Verma
क्यों अब हम नए बन जाए?
क्यों अब हम नए बन जाए?
डॉ० रोहित कौशिक
एक अटल है
एक अटल है
Sudhir srivastava
ਯਾਦਾਂ ਤੇ ਧੁਖਦੀਆਂ ਨੇ
ਯਾਦਾਂ ਤੇ ਧੁਖਦੀਆਂ ਨੇ
Surinder blackpen
कभी मिले फुरसत तो उन लड़कों के बारे में सोचना,
कभी मिले फुरसत तो उन लड़कों के बारे में सोचना,
पूर्वार्थ
" बकरी "
Dr. Kishan tandon kranti
ना चाहते हुए भी
ना चाहते हुए भी
हिमांशु Kulshrestha
सूझ बूझ
सूझ बूझ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
4867.*पूर्णिका*
4867.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उदास हो गयी धूप ......
उदास हो गयी धूप ......
sushil sarna
जीवन
जीवन
Neelam Sharma
आएगी दीपावली जब जगमगाती रात होगी
आएगी दीपावली जब जगमगाती रात होगी
Dr Archana Gupta
विश्व कप-2023 फाइनल
विश्व कप-2023 फाइनल
गुमनाम 'बाबा'
..
..
*प्रणय*
"ख़ामोशी"
Pushpraj Anant
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
#ਮੇਰੇ ਉੱਠੀ ਕਲੇਜੇ ਪੀੜ
#ਮੇਰੇ ਉੱਠੀ ਕਲੇਜੇ ਪੀੜ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
हमारी फीलिंग्स भी बिल्कुल
हमारी फीलिंग्स भी बिल्कुल
Sunil Maheshwari
लोकतंत्र का खेल
लोकतंत्र का खेल
Anil chobisa
गए वे खद्दर धारी आंसू सदा बहाने वाले।
गए वे खद्दर धारी आंसू सदा बहाने वाले।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
Suryakant Dwivedi
अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
Shikha Mishra
"काश! हमारे भी पंख होते"
राकेश चौरसिया
Nowadays doing nothing is doing everything.
Nowadays doing nothing is doing everything.
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...