Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Dec 2023 · 1 min read

तंग अंग देख कर मन मलंग हो गया

तंग अंग देख कर मन मलंग हो गया
****************************

तंग अंग देख कर मन मलंग हो गया,
प्रेम रंग तन – मन मंढ अपंग हो गया।

उचंग से मन मचल उमंग से जा भरा,
प्रीत की रीत जीत कर पतंग हो गया।

हाल देख गात का हिय में तरंग उठी,
रंग रूप देख कर झट दबंग हो गया।

चाल ढाल ताकते भंग सा नशा चढ़ा,
ढंग से बेढंग हो ये मन मृदंग हो गया।

रंग ढंग गये बदल जमीं से कदम उठे,
अंग से अंग मिला कर तंग हो गया।

मतंगिनी लावण्य से लिप्त मनसीरत,
घनी सुरंग में फंस मन भुजंग हो गया।
*****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

335 Views

You may also like these posts

फूलों से हँसना सीखें🌹
फूलों से हँसना सीखें🌹
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Pain of separation
Pain of separation
Bidyadhar Mantry
तोहफे में बंदूक
तोहफे में बंदूक
अरशद रसूल बदायूंनी
ख़ुद की खोज
ख़ुद की खोज
Surinder blackpen
आत्मस्वरुप
आत्मस्वरुप
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
मैं  ज़्यादा  बोलती  हूँ  तुम भड़क जाते हो !
मैं ज़्यादा बोलती हूँ तुम भड़क जाते हो !
Neelofar Khan
नवगीत : मौन
नवगीत : मौन
Sushila joshi
अब भी देश में ईमानदार हैं
अब भी देश में ईमानदार हैं
Dhirendra Singh
. क्यूँ लोगों से सुनने की चाह में अपना वक़्त गवाएं बैठे हो !!
. क्यूँ लोगों से सुनने की चाह में अपना वक़्त गवाएं बैठे हो !!
Ravi Betulwala
मैं
मैं
Dr.Pratibha Prakash
*महाराज श्री अग्रसेन को, सौ-सौ बार प्रणाम है  【गीत】*
*महाराज श्री अग्रसेन को, सौ-सौ बार प्रणाम है 【गीत】*
Ravi Prakash
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
Rj Anand Prajapati
लोग कहते ही दो दिन की है ,
लोग कहते ही दो दिन की है ,
Sumer sinh
तेरी निशानियां महफूज़ रखी है दिल के किसी कोने में,
तेरी निशानियां महफूज़ रखी है दिल के किसी कोने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shweta Soni
जहरीले और चाटुकार  ख़बर नवीस
जहरीले और चाटुकार ख़बर नवीस
Atul "Krishn"
शिव बन शिव को पूजिए, रखिए मन-संतोष।
शिव बन शिव को पूजिए, रखिए मन-संतोष।
डॉ.सीमा अग्रवाल
वे आजमाना चाहते हैं
वे आजमाना चाहते हैं
Ghanshyam Poddar
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
" मिलकर एक बनें "
Pushpraj Anant
बारिश
बारिश
Punam Pande
कुछ दोहे कुछ ग़ज़लें
कुछ दोहे कुछ ग़ज़लें
आर.एस. 'प्रीतम'
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी के मायने
ज़िंदगी के मायने
Shyam Sundar Subramanian
बीते हुए दिन
बीते हुए दिन
rubichetanshukla 781
मकान जले तो बीमा ले सकते हैं,
मकान जले तो बीमा ले सकते हैं,
पूर्वार्थ
दोहा एकादश. . . . जरा काल
दोहा एकादश. . . . जरा काल
sushil sarna
रंगों के रंगमंच पर हमें अपना बनाना हैं।
रंगों के रंगमंच पर हमें अपना बनाना हैं।
Neeraj Agarwal
फरवरी तु भी कमाल
फरवरी तु भी कमाल
Deepali Kalra
आज फ़िर एक
आज फ़िर एक
हिमांशु Kulshrestha
Loading...