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30 Nov 2023 · 1 min read

क्रोधी सदा भूत में जीता

क्रोधी सदा भूत में जीता, वर्तमान में कामी।
लोभी जीता है भविष्य में, करता नमकहरामी।।

क्रोध घटित घटना पर आकर, काम बिगाड़ा करता।
अधिक क्रोध का कुफल भोगती, है सारी मानवता।।
क्रोध पाप का मूल, क्रोध के, बनें न हम अनुगामी।
क्रोधी सदा भूत में जीता, वर्तमान में कामी।।

जाति-कुजाति, समय-असमय पर, कामी ध्यान न देता।
मौत सामने आ जाए तो, वह उससे लड़ लेता।।
कदाचार करता कामातुर, तब होती बदनामी।
क्रोधी सदा भूत में जीता, वर्तमान में कामी।।

लोभी जिस थाली में खाता, छेद उसी में करता।
त्रास दूसरों को देकर वह, हर्ष हृदय में भरता।।
होती आई सदा लोभ की, परिणति दुष्परिणामी।
लोभी जीता है भविष्य में, करता नमकहरामी।।

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
248 Views
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