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26 Nov 2023 · 1 min read

हम पर कष्ट भारी आ गए

दृष्टिहीनों के नगर में नेत्रधारी आ गए
सब लगे कहने कि हम पर कष्ट भारी आ गए

अब तलक तो राजपथ पर सिर्फ आए थे रथी
कौन हैं जो राजपथ पर बेसवारी आ गए

राजभवनों में गया जो उंगलियां उस पर उठीं
भाग्यशाली वो रहे जो निर्विकारी आ गए

धैर्य टूटा है कि सोई प्यास इनकी जग पड़ी
हम गृहस्थों के यहां क्यूं ब्रह्मचारी आ गए

क्रोध का मापांक मेरा बढ़ गया यह देखकर
जब निहत्थों को सताने शस्त्रधारी आ गए

— शिवकुमार बिलगरामी

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