मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
यूं ही नहीं मिल जाती मंजिल,
मैं वो मिथिला कुमारी हूँ - कोमल अग्रवाल
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
नाबालिक बच्चा पेट के लिए काम करे
तुम्हारे प्यार के खातिर सितम हर इक सहेंगे हम।
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मुक्तक-विन्यास में एक तेवरी
जिस दिल में ईमान नहीं है,
दिल में हिन्दुस्तान रखना आता है
वंचित कंधा वर्चस्वित कंधा / मुसाफिर बैठा
जय मां शारदे 🌺🌺🙏
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)