Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Oct 2023 · 2 min read

#सुमिरन

🕉

★ #सुमिरन ★

हे राम तुम्हारे आने से
है किसके मन में ज्वार नहीं
दीपों की अवलियाँ सज रहीं
मन टिकता बारम्बार वहीं
अमावस पूनम हो गई
शेष नहीं अँधकार कहीं

स्वप्न सुहाने अब तक घेरे हैं
हे राम ! कृपालु कृपा करो
तेरे हैं हम तेरे हैं

स्वप्न सुहाने अब तक घेरे हैं . . . . .

उड़ें विमानों में उड़ने वाले
धरा तल पर जिनका व्यापार नहीं
कच्ची पगडंडियां उनके माथे
किसी रथ के हैं जो सवार नहीं
चाहते मोल जो मेहनत का
मांगते हैं उपकार नहीं

खेत खलिहान तक अपने फेरे हैं
हे राम ! रथी रथवान पुष्पक के
तेरे हैं हम तेरे हैं

खेत खलिहान तक अपने फेरे हैं . . . . .

युग बदले सदिया बीतीं
भरत की अब सरकार नहीं
भाटा भाग्य बदा जिनके
झोली में जिनके प्यार नहीं
उन्हें भी दे दाना दुनका
तुम बिन जिनका आधार नहीं

अब स्वामी हुए लुटेरे हैं
हे राम ! दयालु दया करो
तेरे हैं हम तेरे हैं

अब स्वामी हुए लुटेरे हैं . . . . .

घर घर में दीप जलते रहें
रौनक न हो उधार कहीं
सीमा पर होली खेल रहे
दूजी प्रीत जिन्हें स्वीकार नहीं
मोल चुका दे शीशों का
धन ऐसा न कोई खरीदार नहीं

पूत ऐसे माँ के बहुतेरे हैं
हे राम ! घट घट के वासी
तेरे हैं हम तेरे हैं

पूत ऐसे माँ के बहुतेरे हैं . . . . .

स्वप्न सरीखी सोने की लंका
अँजुरी सरयू की जलधार नहीं
पुत्र हुए न राजा के
सती के जो भरतार नहीं
जिनके नयना नीर बचा न
धन की सुनते जो झनकार नहीं

सुमिरन साँझ सवेरे हैं
हे राम ! मर्यादा की सीमा
तेरे हैं हम तेरे हैं

सुमिरन साँझ सवेरे हैं . . . . .

जो तू कहे व्रत को तोड़ूँ
तोड़ूँ मैं अपनी ही कही
गणाधिपति गण की सुने नहीं
बन लखन हिला दूँ यह मही
बवंडरों के मौसम न सूझे
कौन पराया कौन सही

राहों में बहुत अँधेरे हैं
हे राम ! जीवन की ज्योति
तेरे हैं हम तेरे हैं

राहों में बहुत अंधेरे हैं . . . . .

तेरा तुझको सौंपते
कहीं मन में कोई विकार नहीं
बल तेरा मुझ निर्बल में मिले
न लूला मैं लाचार नहीं
वानर भालू सब साथ साथ
सागर अब दीवार नहीं

प्रभु वन्दन ! चरणों के चेरे हैं
हे राम ! विजेता सदा सदा के
तेरे हैं हम तेरे हैं

प्रभु वन्दन ! चरणों के चेरे हैं . . . . . !

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
235 Views

You may also like these posts

* सत्य एक है *
* सत्य एक है *
surenderpal vaidya
हमने एक बात सीखी है...... कि साहित्य को समान्य लोगों के बीच
हमने एक बात सीखी है...... कि साहित्य को समान्य लोगों के बीच
DrLakshman Jha Parimal
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
गुमशुदा लोग
गुमशुदा लोग
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
नीचे की दुनिया
नीचे की दुनिया
Priya Maithil
वो न जाने कहाँ तक मुझको आजमाएंगे
वो न जाने कहाँ तक मुझको आजमाएंगे
VINOD CHAUHAN
लहर लहर लहराना है
लहर लहर लहराना है
Madhuri mahakash
युगपुरुष
युगपुरुष
Shyam Sundar Subramanian
भारत अध्यात्म का विज्ञान
भारत अध्यात्म का विज्ञान
Rj Anand Prajapati
मुक्तक – शादी या बर्बादी
मुक्तक – शादी या बर्बादी
Sonam Puneet Dubey
ईश्वर
ईश्वर
अंकित आजाद गुप्ता
तुम से ना हो पायेगा
तुम से ना हो पायेगा
Gaurav Sharma
ग़ज़ल --
ग़ज़ल --
Seema Garg
वो कड़वी हक़ीक़त
वो कड़वी हक़ीक़त
पूर्वार्थ
कुंडलियां
कुंडलियां
Rambali Mishra
माँ दहलीज के पार🙏
माँ दहलीज के पार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आओ बोलें
आओ बोलें
Arghyadeep Chakraborty
बचपन
बचपन
Vedha Singh
पीयूष गोयल में हाथ से लिखी दर्पण छवि में १७ पुस्तकें.
पीयूष गोयल में हाथ से लिखी दर्पण छवि में १७ पुस्तकें.
Piyush Goel
उम्र के फासले
उम्र के फासले
Namita Gupta
तुम्हारे साथ ने..
तुम्हारे साथ ने..
हिमांशु Kulshrestha
जीवन की धूप-छांव हैं जिन्दगी
जीवन की धूप-छांव हैं जिन्दगी
Pratibha Pandey
न्याय निलामी घर में रक्खा है
न्याय निलामी घर में रक्खा है
Harinarayan Tanha
आशिक़ का किरदार...!!
आशिक़ का किरदार...!!
Ravi Betulwala
रिश्तों के माधुर्य में,
रिश्तों के माधुर्य में,
sushil sarna
There can be many ways to look at it, but here's my understa
There can be many ways to look at it, but here's my understa
Ritesh Deo
मोहब्बत
मोहब्बत
Shriyansh Gupta
आए हैं फिर चुनाव कहो राम राम जी।
आए हैं फिर चुनाव कहो राम राम जी।
सत्य कुमार प्रेमी
छंद मुक्त कविता : विघटन
छंद मुक्त कविता : विघटन
Sushila joshi
अमीन सयानी
अमीन सयानी
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...