*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कहां बैठे कोई , संग तेरे यूं दरिया निहार कर,
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
मिटे क्लेश,संताप दहन हो ,लगे खुशियों का अंबार।
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
*स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री राम कुमार बजाज*
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
भारतीय इतिहास का दर्शनशास्त्र अजेय भारत (Philosophy of Indian History Invincible India)
वक्त अपनी करवटें बदल रहा है,
आज फिर अकेले में रोना चाहती हूं,
देख ! सियासत हारती, हारे वैद्य हकीम
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।