*जब से मुकदमे में फॅंसा, कचहरी आने लगा (हिंदी गजल)*
लड़के रोते नही तो क्या उन को दर्द नही होता
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मुझे भी तुम्हारी तरह चाय से मुहब्बत है,
दरिया की लहरें खुल के - संदीप ठाकुर
भूगोल के हिसाब से दुनिया गोल हो सकती है,
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा करने की कोशिश मात्र समय व श्र
"गणेश चतुर्थी की शुभकामना "
अफसोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूॅ॑
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
एक दिन बिना बताए उम्मीद भी ऐसी चली जाती है,
आग पानी में लगाते क्यूँ हो
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
उत्तर बिहार अर्थात मिथिला राज्य: पुनर्गठन।
ओढ़े जुबां झूठे लफ्जों की।
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
शोक-काव्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
सच तो जीवन में हमारी सोच हैं।