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1 Oct 2023 · 1 min read

*दादी चली गई*

आज अपने बीच देखकर तुझे
जन्नत के फ़रिश्ते भी खुश हुए होंगे
जीत गये हैं हमसे आज बाज़ी वो
तभी वो तुझे अपने साथ ले गए होंगे

दादा को तो कभी देखा नहीं
सात दशक बाद उनसे भी मिले होंगे
ये जुदाई बहुत लंबी थी उनसे
देखकर तुम्हें वो भी खुश तो हुए होंगे

दुखों से भरा था वो समय तेरा
वो पल तुमने कैसे गुज़ारे होंगे
सफ़र की शुरुआत में ही छोड़ गया हमसफ़र
कैसे तुमने वो दिन काटे होंगे

संघर्ष की मिसाल हो तुम
छोटे छोटे बच्चे तुमने कैसे पाले होंगे
दिल में छुपे दर्द तुम्हारे
तभी उसने भी पहचाने होंगे

जब पूछते होंगे तुमसे अपने पापा के बारे में वो
कोई सोच भी नहीं सकता तुमने कैसे सँभाले होंगे
क्यों इतने कष्ट मिले तुमको, फिर सोचता हूं
ये तो उस रब के तुम्हें ताक़त देने के बहाने होंगे

है मिसाल सबके लिए आज भी
कितने कष्ट सहकर तुमने फ़र्ज़ निभाए होंगे
दिखाकर अपना मुस्कुराता चेहरा
जानता हूँ तुमने दर्द अपने छुपाए होंगे

पढ़ाने लिखाने के लिए बेटे को
जाने तुमने कितनी कुरबानियां दी होगी
सफल हुई ये तपस्या तुम्हारी
जब आंगन पोते पोतियों से भरी होगी

बदल दिया उस क़िस्मत को भी तुमने
जिसे लिखने वाले की कलम भी पछताई होगी
देखकर तेरे परिवार को लगता है आज
ये पौध किसी क़िस्मत वाले ने लगाई होगी

आज चली गई तू हमको छोड़कर
ये रीत तो एक दिन सबको निभानी होगी
अब याद करके ही तुझको
जानता हूं, हमें ये ज़िंदगी बितानी होगी।

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