Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2023 · 2 min read

आत्मसम्मान

लघुकथा
आत्मसम्मान
*******************
रीता को उसकी ननद ने बड़े उत्साह से फोन कर बताया कि भाभी मैंने अपने भतीजे और आपके बेटे का रिश्ता पक्का कर दिया है। लड़की इनके दूर की रिश्तेदार है। मैंने उन्हें जुबान दे दिया है। अब आप मना मत कीजिएगा।
अच्छी बात है लेकिन क्या ननदोई जी और आपके सास ससुर को इस बात की जानकारी है? रीता ने पूछा
नहीं भाभी! ये लोग नहीं चाहते हैं, मगर मैं लड़की और उसके परिवार से मिल चुकी हैं। लड़की पढ़ी लिखी और सुलझी है। भतीजे की जोड़ी खूब जमेगी।
देखिए ननद जी! आपके ससुराल वाले नहीं चाहते। स्वाभाविक है कि वे उन लोगों को आपसे बेहतर समझते हैं। आपकी शादी को महज दो साल हुए हैं। ऐसे में आपने जुबान देकर गलत किया। यदि आपके पति ही इच्छुक नहीं हैं, तब हम अपनी सहमति बिल्कुल नहीं देंगे। शादी ब्याह गुड्डे गुड़ियों का खेल नहीं है।
लेकिन भाभी इससे तो मेरी बेइज्जती हो जायेगी?
मेरे स्वाभिमान आत्मसम्मान का क्या होगा?
वाह हहहहहहह, आपको अपने स्वाभिमान, आत्मसम्मान की बड़ी चिंता है, एक बार भी आपने ससुराल वालों और अपने पति के बारे में भी नहीं सोचा, तो वो इसलिए कि आपको स्वाभिमान नहीं अभिमान है। जिसमें शामिल होकर हम आपके ससुराल वालों का अपमान किसी भी कीमत पर नहीं कर सकते। जुबान देने से पहले आपने किसी से कुछ भी नहीं कहा, न पूछा, न सलाह लिया। अब आप जानो, हम कुछ नहीं कर सकते। हमें अपने साथ साथ आपके ससुराल वालों के सम्मान, स्वाभिमान की भी चिंता है।
रीता ने दो टूक जवाब दे दिया, तब उसकी ननद को अपनी ग़लती का अहसास हुआ।
उसे महसूस हुआ कि भाभी के दो टूक बोल उसके आत्मसम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए ही हैं।
उसने धीरे से सा..र.री भाभी कहकर फोन काट दिया। उसे लग रहा था कि भाभी ने उसे अपनी ही नज़रों में गिरने से बचा लिया।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 193 Views

You may also like these posts

अकल की दुकान
अकल की दुकान
Mukund Patil
📝दुनिया एक है, पर सबकी अलग अलग है♥️✨
📝दुनिया एक है, पर सबकी अलग अलग है♥️✨
पूर्वार्थ
कुएं का मेंढ़क
कुएं का मेंढ़क
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
माँ ऐसा वर ढूंँढना
माँ ऐसा वर ढूंँढना
Pratibha Pandey
रेडियो की यादें
रेडियो की यादें
Sudhir srivastava
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
Arghyadeep Chakraborty
व्यर्थ यह जीवन
व्यर्थ यह जीवन
surenderpal vaidya
आदत अच्छी नहीं है किसी को तड़पाने की
आदत अच्छी नहीं है किसी को तड़पाने की
Jyoti Roshni
ब्रह्मांड की आवाज
ब्रह्मांड की आवाज
Mandar Gangal
गजब के रिश्ते हैं
गजब के रिश्ते हैं
Nitu Sah
शीर्षक -आँख क्यूँ नम है!
शीर्षक -आँख क्यूँ नम है!
Sushma Singh
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
शेखर सिंह
सत्य की ख़ोज़ पर दोहे
सत्य की ख़ोज़ पर दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
Kanchan Khanna
कसकर इनका हाथ
कसकर इनका हाथ
RAMESH SHARMA
"संगम स्थली दंतेवाड़ा"
Dr. Kishan tandon kranti
आओ कुंज बिहारी भजन अरविंद भारद्वाज
आओ कुंज बिहारी भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
🍁🍁तेरे मेरे सन्देश-7🍁🍁
🍁🍁तेरे मेरे सन्देश-7🍁🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
Rj Anand Prajapati
*शादी में है भीड़ को, प्रीतिभोज से काम (हास्य कुंडलिया)*
*शादी में है भीड़ को, प्रीतिभोज से काम (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
🙏आप सभी को सपरिवार
🙏आप सभी को सपरिवार
Neelam Sharma
वाक़िफ़ नहीं है कोई
वाक़िफ़ नहीं है कोई
Dr fauzia Naseem shad
चांद भी आज ख़ूब इतराया होगा यूं ख़ुद पर,
चांद भी आज ख़ूब इतराया होगा यूं ख़ुद पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रुसल कनिया
रुसल कनिया
Bindesh kumar jha
अंगद उवाच
अंगद उवाच
Indu Singh
4055.💐 *पूर्णिका* 💐
4055.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मोह
मोह
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अमावस का चाँद
अमावस का चाँद
Saraswati Bajpai
दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता
दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता
Sarfaraz Ahmed Aasee
सबसे पहले वो मेरे नाम से जलता क्यों है।
सबसे पहले वो मेरे नाम से जलता क्यों है।
Phool gufran
Loading...