Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Sep 2023 · 1 min read

अम्मा वापस आ गई

अम्मा वापस आ गई
************
आज भी याद आ रही है
उन पलों की यादें,
अनायास हमारा मिलन
वो तुम्हारा पांव छूना
अधिकार भरी जिदकर
अपने साथ घर तक ले जाना।
रोना आ जाता है आज भी
याद आता है जब वो दृश्य
चलचित्र सा घूमने लगता है
आंखों के सामने अक्सर
तुम्हारा निश्छल प्यार दुलार
तुम्हारे चेहरे पर बिखरी खुशियां
और निश्चिंत भाव भरा गर्व।
तुम्हारे अपनत्व में घुला
अधिकार और कर्तव्य
जिसे तूने तो अच्छे से निभाया
पर मुझे बहुत रुलाया।
पर तेरा दोष तनिक भी नहीं है
शायद मेरी ही ये कमी है
या जिसकी कल्पना तक न थी
उसे पाकर आंखें नम हो रही थीं,
जो भी है तू अंजान अब न रह गई थी,
मेरे लिए तो तू उस दिन से पूज्य हो गई ,
मगर किसी हिटलर से कम
आज भी नहीं लग रही है,
आज भी अपनी शरारतों से
नाक में दम कर रही है,
बात बात में नखरे दिखा रही है
अपने अधिकारों का भरपूर लाभ ले रही है
मेरी फ़िक्र करने में तो तू आज
मेरी दादी अम्मा की तरह हो गई है,
आज ऐसा लगता है तू फिर से
मेरी अम्मा बन वापस आ गई है,
कुछ कहे बिना हीअपने कदमों में
झुकने को मजबूर कर रही है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Loading...