बेवजह बदनाम हुए तेरे शहर में हम
धरती मां का हम पर कितना कर्ज है।
बाल कविता: मुन्ने का खिलौना
सपने सच हो पाते बस क़िस्मत वालों के ही,
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
बिहार के रूपेश को मिला माँ आशा देवी स्मृति सम्मान और मुंशी प्रेमचंद शिरोमणि सम्मान
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
अपनों का साथ भी बड़ा विचित्र हैं,
खुद को तुम भी समझा लेना, !