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23 Sep 2023 · 1 min read

मंज़िल का पता है न ज़माने की खबर है।

मंज़िल का पता है न ज़माने की खबर है।
हर ग़म से अंजान हूं बेख़ौफ़ नज़र है।
आज जो मैं खड़ी हो आप सबके सामने।
ये सब मेरी मां की दुआओं का असर है।
Phool gufran

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